संक्रामक रोगों से रक्षा करती है माता शीतला

 


आरंग: धार्मिक नगरी आरंग के पश्चिम में विराजमान हैं माता शीतला। जो जन आस्था का केन्द्र है। साल भर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। चैत्र व कुंवार दोनों ही नवरात्र में यहां सैकड़ों मनोकामना दीप प्रज्ज्वलित होती है। वर्ष भर नगर सहित काफी दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचकर माता से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जनआस्था है कि माता शीतला भक्तों की मुरादें ही पूरी नहीं करती हैं अपितु महामारी से भी भक्तों की रक्षा करती हैं। पहले कई प्रकार के संक्रामक रोग होते थे, तब लोग मां शीतला की प्रार्थना करते थे और माता शीतला भक्तों की प्रार्थना जरूर सुनती है। आज भी शीतला मंदिर में भक्तों को शीतलता की अनुभूति होती है।  जब भी चेचक का प्रकोप बढ़ता है तब लोग मां शीतला में पहुंचकर पूजा, आराधना, सेवा करते हैं।मंदिर के पुजारी संतोष धीवर ने बताते हैं उनकी छ: पीढ़ियां माता शीतला की सेवा पूजा करते आ रहे हैं। मंदिर के गर्भ गृह में दो प्रतिमाएं विराजमान हैं, एक माता शीतला व दूसरी बूढ़ी माई की है। दोनों प्रतिमाएं काले पत्थरों से निर्मित है। माता की गोद में एक बच्चे हैं तथा पैरों के पास छोटे-छोटे बच्चों की और भी प्रतिमाएं हैं। जिससे मां की ममतामयी होने के संकेत मिलते हैं। पूर्वाभिमुख इस मंदिर के प्राचीन इतिहास की जानकारी अब तक किसी को नहीं है। मान्यता है कि माता शीतला की स्थापना काफी पुरानी है। मंदिर परिसर में कुछ अन्य प्राचीन प्रतिमाएं भी है। जिनका दर्शन कर लोग शांति का अनुभव करते हैं। वहीं दोनों नवरात्रि में नगर भर के अलग-अलग सेवादल पहुंचकर माता सेवा व जस गीत गाते हैं और विधि-विधान से पूजा आराधना करते हैं। इस नवरात्रि में भी 228 मनोकामना दीप प्रज्वलित हो रही है। मंदिर परिसर में विशेष साज-सज्जा व रोशनी की गई है। जो भक्तों को बरबस ही आकर्षित कर रही है।