आरंगः धार्मिक नगरी आरंग में महामाया, शीतला, चंडी, खल्लारी, दंतेश्वरी, समलेश्वरी, कंकाली, सतबहिनिया व बाला त्रिपुरा की नवदुर्गा स्वरुप नौ देवी हैं। जिनके दर्शन मात्र से ही आत्मिक शांति की अनुभूति होती है। इनमें से माता बाला त्रिपुरा देवी की उत्पत्ति की कहानी रहस्यमयी है। नगर के अग्रवाल पारा में कंसारी बाबा के घर के पास विराजमान हैं माता बाला त्रिपुरा। पेशे से वैद्य कंसारी बाबा ने बताते हैं पहले माता की मूर्ति भूमिगत थी। माता ने उनकेे पिता स्वर्गीय भरतलाल कंसारी को स्वप्न देकर जमीन से निकालने कहा। तब सन् 1970 में भूमि की खुदाई कर उसी स्थल पर गहरे तल में ही स्थापित किया गया। सन् 2000 में उनकी बहु श्रीमती सकुन कंसारी को तल घर से बाहर निकालने के लिए बार-बार स्वप्न दिया, तब उसे पुजारी कंसारी बाबा ने सन् 2001 में मंदिर बनवाकर स्थापित किया।उस समय माता की प्रतिमा पिंडी रुप में थी, जिसे बाद में देवी की मुखमंडल को आकार दिया गया। कहा जाता है माता बाला त्रिपुरा देवी की प्रतिमा छत्तीसगढ़ के केवल आरंग में ही हैं।श्रृद्धालुओं का यहां वर्ष भर तांता लगा रहता है। पहले यह स्थान खंडहरनुमा था, जो भक्तों की आस्था से भव्य मंदिर बन गया है। माता के दरबार में जो भी श्रद्धालु आते हैं माता उनकी मनोकामना अवश्य पूरी करती है। यहां कुंवार व चैत्र दोनों ही नवरात्रि में ज्योति प्रज्वलित कर विधि-विधान से पूजा आराधना किया जाता है।
मंदिर के पुजारी कंसारी बाबा बताते हैं यहां केवल कष्ट निवारण के लिए ही मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है। प्रत्येक ज्योति के नाम से नौ दिनों तक प्रतिदिन मंत्र, पूजा, पाठ ,जाप, तप किया जाता है।इस नवरात्र में भी 5 मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित हो रही है।