चूड़ी, सुपली,चना, मुर्रा,लाई,चना,नारियल
चढ़ाने से प्रसन्न होती हैं माता सतबहिनियां
आरंगः मंदिरों की नगरी के नाम से सुविख्यात नगर आरंग के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में रीठा पेड़ के जड़ में विराजमान है माता सतबहनियां। इसीलिए माता सतबहिनियां को रीठा वाली दाई के नाम से भी पुकारा जाता है।कहा जाता है अस्पताल परिसर और आसपास से गुजरने वाले छोटे बच्चों को माता सतबहनियां खूब रुलाती है। जैसे ही बच्चे के परिवार के लोगों द्वारा चूड़ी, सुपली, मुर्रा,लाई, चना, चुनरी,नारियल चढ़ाकर मन्नत मांगा जाता हैं।माता की कृपा से रोते बिलखते बच्चे शीघ्र ही शांत हो जाते हैं।जब तक यहां माता का श्रृंगार नहीं चढ़ता तब तक रोते बिलखते बच्चे शांत नहीं होते। इसलिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आरंग में जन्म लेने वाले बच्चे के माता-पिता या परिवार के लोग बच्चे के जन्म होते ही स्वत: माता का श्रृंगार चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं। और माता भी भक्तों की मुराद पूरी कर देती है।माता सतबहिनियां का इतिहास कितनी पुरानी है। इसके बारे में किसी को अधिक जानकारी नहीं है। लोग बताते हैं पहले यहां काफी घना जंगल था। लोग यहां अकेले आने जाने से घबराते, कतराते थे। जंगल होने के कारण यहां सांप बिच्छू का बसेरा था। पर अब पंद्रह बीस साल से नवरात्रि में यहां ज्योति प्रज्वलित कर भक्तों द्वारा विशेष पूजा आराधना किया जाता है।जन आस्थानुसार जो भी श्रद्धालु अस्पताल परिसर में पहुंचकर माता सतबहिनियां से कामना करते हैं। माता शीघ्र ही उनकी मनोकामना पूर्ण करती है। इस नवरात्रि में भी 11 मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित हो रही है।